सरकारी नाकामी को दुरुस्त कर देगा क्या मुवावज़ा देने की घोषणा....


 


गुरुवार शाम जो मुम्बई में घटना घटी वो टाली जा सकती थी अगर वक़्त पर उस ब्रिज को सही कर दिया गया होता अगर ऐसा होता तो बच जाती कई जाने लेकिन सरकार और सरकारी विभाग को क्या कहा जाए जो ये मान बैठी है कि ऐसे हादसों पर उसका मुवावजे वाला टोटका ही काम करता आया है करता रहेगा।ठीक ऐसा ही हुआ मुम्बई में सी.एस.टी स्टेशन को जोड़ते ब्रिज के अचानक गिरने के बाद गई कई बेगुनाहों की जान के साथ।


भीड़ से भरा इस ब्रिज का एक हिस्सा अचानक ज़मीदोज़ हो गया जिस कारण अफरातफरी का माहौल बन गया कई दबे रहे और कई मौत की नींद सो गए 40 साल पुराने ब्रिज का लोहा पूरी तरह जंग खा चुका था मरम्मत की बात भी कही गई पर हुआ सिर्फ ऊपरी कायकल्प नतीजा हम सबके सामने अब रेलवे और बीएमसी पर मामला हुआ दर्ज मौके पर पहुंचे मुख्यमंत्री जी ने लोगों के प्रति सहानभूति व्यक्त की जांच के आदेश दिए और बांट दिया मृतकों को 5,5 लाख का मुवावज़ा।


ये केवल मुम्बई में ही है ऐसा नही है मुवावजे का टोटका हर सरकार अपने पास रखती है जो वक़्त आने पर उसके लिए ब्रह्मास्त्र का काम भी करता है।मग़र सवाल यही है कि क्या विभागीय लापरवाही और अपने कार्य के प्रति उदासीनता को ढकने का यही एक रास्ता है क्या इस सराकरी मुवावजे से वो ज़िन्दगी लौट आती है जब कोई एक मरता है तो वो अकेला नही होता उसके साथ होता है उसका घर परिवार क्या उस मुवावजे से घर की खुशहाली लौट आती है।नही ऐसा कुछ नही होता सरकारी लापरवाही घरों के चिराग बुझने का जब भी कारण बनती है तो उसका दिया मुवावज़ा महज एक छलावा ही साबित होता है क्योंकि पैसों से ज़िन्दगी वापस नही आती इससे अच्छा तो ये है कि सरकार विभाग पर सख्ती करे और हादसे के ज़िम्मेवार लोगो पर ऐसी कार्यवाही करे जिससे उसे भी उतना ही दुख हो जितना उन हादसों में जान गंवाने वाले परिवारों को होता है।सिर्फ जांच की बात मीडिया से कहना और मुवावजे का एलान कर देना ही सरकारी ज़िम्मेवारी नही हो सकती।


 


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