अलीगढ़ की घटना ने खोली यूपी की कानून व्यवस्था की पोल...
खास रिपोर्ट---रज़िया बानो खान 

 


 

कोई यकीन नही करेगा मगर ये एक ऐसा कड़वा सच है जो अलीगढ़ से सामने आया है ताज़्ज़ुब होता है कि एक ढाई साल की बच्ची के साथ कोई ऐसी दरिंदगी कैसे कर सकता है जो बच्ची ना ठीक से बोल पाती ना कुछ समझ पाती उसके साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार वाकई आश्चर्य चकित करने वाला है।यहां ये घटना होने से रोकी भी जा सकती थी अगर अलीगढ़ पुलिस ने थोड़ी मुस्तेदी से काम लिया होता।

 


 

अब थोड़ा घटनाक्रम समझिये बच्ची 30 मई को घर के बाहर से गायब हुई 31 को परिवार वालो ने बच्ची की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई रिपोर्ट लिखवाने में पसीने छूट गए पुलिस कहती है तलाश करों वही कहीं आस पास ही होगी खैर मामला दर्ज किया गया लेकिन ढूंढा नही गया और 2 दिन बाद यानी 2 जून को वो बच्ची घर के पास ही कूड़े के ढेर में मिली वो भी मृत अवस्था मे और लाश की हालत ऎसी की दरिंदगी की सारी सीमाएं पनाह मांग लें।

 


 

मामला बढ़ता देख पुलिस के आलाधिकारी हरकत में आये 7 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया कारण था मामले में हिला हवाली करना और अब पुलिस कह रही है कि दोनों आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है उन पर पॉस्को के तहत मामला चलेगा जबकि इनमें से एक अपराधी पहले भी पॉस्को के तहत ही जेल जा चुका है ये बात भी सामने आ रही है तो सवाल यही से खड़ा होता है कि क्या करता है पुलिस का खुफिया तंत्र ऐसे अपराधियों के खिलाफ क्यों सज़ायाफ्ता मुजरिम जब बाहर आते हैं तो वो पुलिस के ही दोस्त बन जाते हैं और घटना को अंजाम दे देते हैं पुलिस फिर उन्हें पकड़ लेती हैं।

 


 

अलीगढ़ में जो हुआ वो एक सबक के तौर पे लेना चाहिए पुलिस वालों को ज़मानती अपराधियों पर पैनी नज़र रखनी चाहिए अपने मुखबिरों को उनके पीछे लगाना चाहिए ना के उनके साथ रह कर उनका हौसला बढाना चाहिए ऐसा होगा तब सुधरेगी कानून व्यवस्था तब होगा योगी का अपराध मुक्त उत्तर प्रदेश ऎसी स्थिति रही तो ये कहने से गुरेज नही होगा कि यूपी में अपराध चरम पर है क्योंकि हमारी पुलिस मनमौजी तो है ही साथ ही गुनाहगारों की हमदर्द भी है।

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